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आपकी दोस्ती की रोशनी ऐसी है,
हर तरह उजाला ही नज़र आया है,
सोचता हूँ घर की बिजली कटवा दूँ,
और आपकों दीवार पर लटका दूँ।
मैं जुर्म घोर रात के सन्नाटे में कर रहा था
मुझे भ्रम था कि अब मुझे देखेगा यहां कौन
जुर्म करते हुए देखा नहीं मेरे सिवा कोई और
जब पेसे दर हुआ तो गवाह मेरा दिल निकला
More Shayari
Motivational Shayari

ये हौसला भी किसी रोज़ कर के देखूँगी
अगर मैं ज़ख़्म हूँ उस का तो भर के देखूँगी
~ Aziz Bano Darab Wafa
अब हवाएँ ही करेंगी रौशनी का फ़ैसला,
जिस दिए में जान होगी वो दिया रह जाएगा।

ये हौसला भी किसी रोज़ कर के देखूँगी
अगर मैं ज़ख़्म हूँ उस का तो भर के देखूँगी
~ Aziz Bano Darab Wafa
शाखें रहेंगी तो फूल भी, पत्ते भी आएँगे,
ये दिन अगर बुरे हैं, तो अच्छे भी आएँगे।

ये हौसला भी किसी रोज़ कर के देखूँगी
अगर मैं ज़ख़्म हूँ उस का तो भर के देखूँगी
~ Aziz Bano Darab Wafa
क्या हुआ अभी जो वक्त साथ नहीं,
वक्त आएगा और सिर्फ़ आएगा ही नहीं धूम धाम से आएगा।

ये हौसला भी किसी रोज़ कर के देखूँगी
अगर मैं ज़ख़्म हूँ उस का तो भर के देखूँगी
~ Aziz Bano Darab Wafa
जिन राहों पर चल पड़े हो सफर की ओर, हौसला रखो तुम,
कभी आएंगे सहरा, तो कभी समंदर भी तुम।
Festival Shayari

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

रौशन है आफ़्ताब की निस्बत चराग़ से
निस्बत वही है आप में और आफ़्ताब में
~ Ismail Meerthi
रौशन है आफ़्ताब की निस्बत चराग़ से निस्बत वही है आप में और आफ़्ताब में
ऐसा चेहरा है तेरा जैसा रोशन सवेरा जिस जगह तू नहीं है उस जगह है अँधेरा कैसे फिर चैन तुझ बिन तेरे बदनाम लेंगे हुस्न की बात चली तो सब तेरा नाम लेंगे!!!

कहते हैं सब देख कर बेताब मेरा उज़्व उज़्व
आदमी अब तक नहीं देखा कहीं सीमाब का
~ Munir Shikohabadi
कहते हैं सब देख कर बेताब मेरा उज़्व उज़्व आदमी अब तक नहीं देखा कहीं सीमाब का
Funny Shayari
अज्ञात

न जाने कब कोई अपना रुठ जाये,
न जाने कब कोई अश्क आँखों से छूट जाये,
कुछ पल हमारे साथ भी,
मुस्कुरा लिया करो ऐ दोस्त,
न जाने कब तुम्हारे दांत टूट जाये!
~ अज्ञात

तुम दिल से हमें यों पुकारा ना करो,
यु तुम हमें इशारा ना करो,
दूर हैं तुमसे ये मजबूरी है हमारी,
तुम तन्हाइयों में यूं तड़पाया ना करो……!!!
~ अज्ञात
तुम दिल से हमें यों पुकारा ना करो, यु तुम हमें इशारा ना करो, दूर हैं तुमसे ये मजबूरी है हमारी, तुम तन्हाइयों में यूं तड़पाया ना करो……!!!

क़यामत टूट पड़ती है ज़रा से होंठ हिलने पर,
जाने क्या हस्र होगा जब वो खुलकर मुस्कुरायेंगे…….!!!
~ अज्ञात
क़यामत टूट पड़ती है ज़रा से होंठ हिलने पर, जाने क्या हस्र होगा जब वो खुलकर मुस्कुरायेंगे…….!!!

क्यूँ मेरी तरह रातों को रहता है परेशाँ
ऐ चाँद बता किस से तिरी आँख लड़ी है
~ साहिर लखनवी
क्यूँ मेरी तरह रातों को रहता है परेशाँ ऐ चाँद बता किस से तिरी आँख लड़ी है

आख़री हिचकी तिरे ज़ानूँ पे आए
मौत भी मैं शाइराना चाहता हूँ
~ क़तील शिफ़ाई
आख़री हिचकी तिरे ज़ानूँ पे आए मौत भी मैं शाइराना चाहता हूँ

सारी दुनिया की खुशी अपनी जगह,
उन सबके बीच तेरी कमी अपनी जगह…..!!!
~ अज्ञात
सारी दुनिया की खुशी अपनी जगह, उन सबके बीच तेरी कमी अपनी जगह…..!!!
अज्ञात
“तमाम गीले शिकवे भूलकर बात कर लिया करो, सुना है मौत मुलाकात का मौका नहीं देती।”
View Shayariअज्ञात
“मुझे पता है, मैं तुम्हारा पहला प्यार नहीं था, लेकिन यकीन मानो, आखिरी था।”
View Shayariअज्ञात
बेहतर हैं उन रिश्तों का टूट जाना, जिस रिश्ते की, वजह से, आप टूट रहे हैं..
View Shayariअज्ञात
“जिसे चाहो वो मिल जाए, ये ज़रूरी नहीं, जिसे पा लो उसे चाहो, ये ज़रूरी है।”
View Shayariअज्ञात
“हर बार दिल से तुम्हारा नाम मिटाने की कोशिश की, पर हर बार तुम और गहरे बस गए।”
View Shayariअज्ञात
दुनिया की भीड़ में हम अकेले रह गए, खुद को समझाने की कोशिश में अपने दिल को ही खो बैठे।
View Shayariअज्ञात
मुस्कुराने की आरजू मे छुपाया जो दर्द को अश्क हमारी आखो मे पत्थर के हो गए
View Shayariदिल में बसी है ख़ामोशियों की गहराई,
दिल में बसी है ख़ामोशियों की गहराई, तूने तो बेवफ़ाई से रिश्ते तोड़ दिए…!!
अज्ञातवो मिली भी तो क्या मिली बन के बेवफा मिली,
वो मिली भी तो क्या मिली बन के बेवफा मिली, इतने तो मेरे गुनाह ना थे जितनी मुझे सजा मिली…!!
अज्ञातजाओ भी क्या करोगे मेहर-ओ-वफ़ा
जाओ भी क्या करोगे मेहर-ओ-वफ़ा बार-हा आज़मा के देख लिया
दाग़ देहलवीअब मैं तुम्हें कैसे समझाऊं,
अब मैं तुम्हें कैसे समझाऊं, की तुम्हारे बिना मैं मर तो सकता हूं, लेकिन जी नहीं सकता…!!
अज्ञातहर भूल तेरी माफ़ की तेरी हर खता को भुला दिया,
हर भूल तेरी माफ़ की तेरी हर खता को भुला दिया, गम है कि मेरे प्यार का तूने बेवफाई सिला दिया…!!
अज्ञातबड़ी सादगी से वो बेवफाई करके निकल गए,
बड़ी सादगी से वो बेवफाई करके निकल गए, हम वफाएं करके भी बस तंहा यूं ही रह गए…!!
अज्ञातमेरे जख्मों पर कुछ इस तरह से मरहम लगती है
मेरे जख्मों पर कुछ इस तरह से मरहम लगती है वो पहले इश्क़ की बातें करती थी अब दोस्त बुलाती है वो
अज्ञातअगर तुम्हें भी प्यार होता,
अगर तुम्हें भी प्यार होता, तो तुम मेरे पास जरूर आते, माना की मैं प्यार में पागल हूं, लेकिन भिखारी नहीं हूं…!!
अज्ञात
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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"